Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_57ca1777b562030361e360214c37b71e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
धड़कनें बंद-ए-तकल्लुफ़ से ज़रा आज़ाद कर - शरीफ़ कुंजाही कविता - Darsaal

धड़कनें बंद-ए-तकल्लुफ़ से ज़रा आज़ाद कर

धड़कनें बंद-ए-तकल्लुफ़ से ज़रा आज़ाद कर

बरमला मुमकिन नहीं दिल में किसी को याद कर

ज़िंदगी इक दौड़ है तो साँस फूलेगी ज़रूर

या बदल मफ़्हूम इस का या न फिर फ़रियाद कर

हर ख़िज़ाँ की कोख से होती है पैदा नौ-बहार

दामन-ए-उम्मीद मैला और न दिल नाशाद कर

बस्तियाँ तू ने ख़लाओं में बसाईं भी तो क्या

दिल के वीरानों को देख उन को भी कुछ आबाद कर

(571) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sharif Kunjahi. is written by Sharif Kunjahi. Complete Poem in Hindi by Sharif Kunjahi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.