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अपने पस-मंज़र में मंज़र बोलते - शरर फ़तेह पुरी कविता - Darsaal

अपने पस-मंज़र में मंज़र बोलते

अपने पस-मंज़र में मंज़र बोलते

चीख़ते दीवार-ओ-दर घर बोलते

कुछ तो खुलता माजरा-ए-क़त्ल-ओ-ख़ूँ

चढ़ के औज-ए-दार पे सर बोलते

मस्लहत थी कोई वो चुप थे अगर

बोलने वाले तो खुल कर बोलते

जो तिलिस्म-ए-आज़री में बंद थे

वो सनम पत्थर के क्यूँ कर बोलते

बह गया अश्कों का सैल-ए-ख़ूँ कहाँ

ख़ुश्क आँखों के समुंदर बोलते

ना-शनासान-ए-सुख़न की बज़्म में

बोलते तो क्या सुख़नवर बोलते

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In Hindi By Famous Poet Sharar Fatehpuri. is written by Sharar Fatehpuri. Complete Poem in Hindi by Sharar Fatehpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.