कम-सिनी जिन की हमें याद है और कल की ही बात
आज उन्हें देखिए क्या हो गए क्या से बढ़ कर
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Habib Jalib
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(468) Peoples Rate This
जिस को चाहा तू ने उस को मिल गया
तमाम चारागरों से तो मिल चुका है जवाब
अब तो मय-ख़ानों से भी कुछ बढ़ कर
हज़रत-ए-नासेह भी मय पीने लगे
दुख़्त-ए-रज़ ज़ाहिद से बोली मुझ से घबराते हो क्यूँ
हैरत में हूँ इलाही क्यूँ-कर ये ख़त्म होगा
इस पर्दे में ये हुस्न का आलम है इलाही
इंतिहा-ए-मअरिफ़त से ऐ 'शरफ़'
अल्लाह अल्लाह ख़ुसूसिय्यत-ए-ज़ात-ए-हसनैन
तेरी आँखें जिसे चाहें उसे अपना कर लें
उश्शाक़ के आगे न लड़ा ग़ैरों से आँखें