जिस को चाहा तू ने उस को मिल गया
वर्ना तुझ को पाने वाला कौन था
Habib Jalib
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(600) Peoples Rate This
शैख़ कुछ अपने-आप को समझें
क़दमों पे गिरा तो हट के बोले
तेरी आँखें जिसे चाहें उसे अपना कर लें
तसव्वुर ने तिरे आबाद जब से घर किया मेरा
कम-सिनी जिन की हमें याद है और कल की ही बात
पारसा बन के सू-ए-मय-ख़ाना
अल्लाह अल्लाह ख़ुसूसिय्यत-ए-ज़ात-ए-हसनैन
तमाम चारागरों से तो मिल चुका है जवाब
अब तो मय-ख़ानों से भी कुछ बढ़ कर
उश्शाक़ के आगे न लड़ा ग़ैरों से आँखें
आलम-ए-इश्क़ में अल्लाह-रे नज़र की वुसअत
दिल में मिरे जिगर में मिरे आँख में मिरी