जी में आता है कि फूलों की उड़ा दूँ ख़ुशबू
रंग उड़ा लाए हैं ज़ालिम तिरी रानाई का
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Parveen Shakir
Rahat Indori
Anwar Masood
Wasi Shah
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(592) Peoples Rate This
दुख़्त-ए-रज़ ज़ाहिद से बोली मुझ से घबराते हो क्यूँ
जिस को चाहा तू ने उस को मिल गया
आलम-ए-इश्क़ में अल्लाह-रे नज़र की वुसअत
क़दमों पे गिरा तो हट के बोले
उस ने माँगा जो दिल दिए ही बनी
इंतिहा-ए-मअरिफ़त से ऐ 'शरफ़'
अल्लाह अल्लाह ख़ुसूसिय्यत-ए-ज़ात-ए-हसनैन
कम-सिनी जिन की हमें याद है और कल की ही बात
इस पर्दे में ये हुस्न का आलम है इलाही
अब तो मय-ख़ानों से भी कुछ बढ़ कर
एक को एक नहीं रश्क से मरने देता