इस पर्दे में ये हुस्न का आलम है इलाही
बे-पर्दा वो हो जाएँ तो क्या जानिए क्या हो
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
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ज़र्फ़ तो देखिए मेरे दिल-ए-शैदाई का
इंतिहा-ए-मअरिफ़त से ऐ 'शरफ़'
कम-सिनी जिन की हमें याद है और कल की ही बात
एक को एक नहीं रश्क से मरने देता
दुख़्त-ए-रज़ ज़ाहिद से बोली मुझ से घबराते हो क्यूँ
दिल में मिरे जिगर में मिरे आँख में मिरी
आलम-ए-इश्क़ में अल्लाह-रे नज़र की वुसअत
पामालियों का ज़ीना है अर्श से भी ऊँचा
शैख़ कुछ अपने-आप को समझें
दुख़्त-ए-रज़ और तू कहाँ मिलती
तसव्वुर ने तिरे आबाद जब से घर किया मेरा
अल्लाह अल्लाह ख़ुसूसिय्यत-ए-ज़ात-ए-हसनैन