दिल भी दामन है फैलाओ सर-ए-शब
मोती सी बारिश बरसाओ सर-ए-शब
जब जोश-ए-सैल से मुनव्वर हो दिमाग़
इन कड़वी बूँदों में नहाओ सर-ए-शब
Habib Jalib
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
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Gulzar
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कनार-ए-बहर है देखूँगा मौज-ए-आब में साँप
इधर से देखें तो अपना मकान लगता है
माह-ए-मुनीर
जंगल से घने ख़्वाब-ए-हक़ीक़त रम-ए-शब
मिट्टी हैं होंगे ज़मीन का पैवंद
बयान सफ़ाई
शोर-ए-तूफ़ान-ए-हवा है बे-अमाँ सुनते रहो
आब ओ गिया से बे-नियाज़ सर्द जबीन-ए-कोह पर
सुर्ख़ सीधा सख़्त नीला दूर ऊँचा आसमाँ
मौसम-ए-संग-ओ-रंग से रब्त-ए-शरार किस को था
देखिए बे-बदनी कौन कहेगा क़ातिल है