शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
नाम | शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shamsur Rahman Faruqi |
जन्म की तारीख | 1936 |
जन्म स्थान | Allahabad |
तारीक रगें लहू से रौशन कर दे
रेशा रेशा बिखर गया मैं न कि तू
रफ़्तार ओ सदा गुम्बद-ए-अफ़्लाक में आए
मिट्टी हैं होंगे ज़मीन का पैवंद
किस ख़ौफ़ का दाग़ माह-ए-वा-दीद में है
जंगल से घने ख़्वाब-ए-हक़ीक़त रम-ए-शब
हर आग को नज़्र-ए-ख़स-ओ-ख़ाशाक करूँ
इक आतिश-ए-सय्याल से भर दे मुझ को
दिल भी दामन है फैलाओ सर-ए-शब
बनाएँगे नई दुनिया हम अपनी
तीन शामों की एक शाम
शोर थमने के बाद
शीशा-ए-साअत का ग़ुबार
सब्ज़ सूरज की किरन
रात शहर और उस के बच्चे
मन अरफ़ा नफ़्सहू
माह-ए-मुनीर
दर-पा-ए-अजल
बयान सफ़ाई
बैत-ए-अंकबूत
अँधेरी शब से एक ला-हासिल
आख़िरी तमाशाई
उन का ख़याल हर तरफ़ उन का जमाल हर तरफ़
सुर्ख़ सीधा सख़्त नीला दूर ऊँचा आसमाँ
शोर-ए-तूफ़ान-ए-हवा है बे-अमाँ सुनते रहो
रिंदों को तिरे आरज़ू-ए-ख़ुश्क-लबी है
पत्थर की भूरी ओट में लाला खिला था कल
मौसम-ए-संग-ओ-रंग से रब्त-ए-शरार किस को था
मौज-ए-दरिया को पिएँ क्या ग़म-ए-ख़म्याज़ा करें
मसल कर फेंक दूँ आँखें तो कुछ तनवीर हो पैदा