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पहले साबित करें इस वहशी की तक़्सीरें दो - शम्स-उन-निसा बेगम शर्म कविता - Darsaal

पहले साबित करें इस वहशी की तक़्सीरें दो

पहले साबित करें इस वहशी की तक़्सीरें दो

क्यूँ मिरे पाँव में पहनाते हैं ज़ंजीरें दो

दोनों ज़ुल्फ़ों का तिरी आया जो वहशत में ख़याल

पड़ गईं पाँव में मेरे वहीं ज़ंजीरें दो

कहाँ क़ासिद ने कि लाया हूँ मैं पैग़ाम-ए-विसाल

आज ख़िलअत मुझे पहनाओ कि जागीरें दो

दर्द-ए-दिल दर्द हुआ सीना की सोज़िश भी गई

शर्बत-ए-वस्ल में तेरे हैं ये तासीरें दो

या बहाने से बुलाएँ उसे या ख़त ही लिखें

'शर्म' क्या ख़ूब ये सूझीं हमें तदबीरें दो

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In Hindi By Famous Poet Shams-Un-Nisa Begum Sharm. is written by Shams-Un-Nisa Begum Sharm. Complete Poem in Hindi by Shams-Un-Nisa Begum Sharm. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.