कमरे की दीवारों पर आवेज़ां जो तस्वीरें हैं
कमरे की दीवारों पर आवेज़ां जो तस्वीरें हैं
अहद-ए-गुज़िश्ता के ख़्वाबों की बिखरी हुई ताबीरें हैं
उन के ख़त महफ़ूज़ हैं अब तक मेरे ख़ुतूत की फ़ाइल में
क़समें वादे अहद ओ पैमाँ प्यार भरी तहरीरें हैं
हाथ की रेखा देखने वाले मेरा हाथ भी देख ज़रा
बर आएँ उम्मीदें जिन से ऐसी कहीं लकीरें हैं
फिर ये किस ने अपना कह कर दी है सदा इक वहशी को
ज़िंदाँ जिस के शोर से लरज़ा पाँव पड़ी ज़ंजीरें हैं
'शम्स' की हालत का मत पूछो कुछ दिन से ये हाल हुआ
हर दम तन्हा सोच में बैठे दामन अपना चीरें हैं
(520) Peoples Rate This