Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c8add76be7be0eafaa8ae29ce9758938, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में - शम्स फ़र्रुख़ाबादी कविता - Darsaal

दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में

दूर फ़ज़ा में एक परिंदा खोया हुआ उड़ानों में

उस को क्या मालूम ज़मीं पर चढ़े हैं तीर कमानों में

फूल तोड़ के लोग ले गए ऊँचे बड़े मकानों में

अब हम काँटे सजा के रक्खें मिट्टी के गुल-दानों में

बे-दर-ओ-बाम ठिकाना जिस में धूल धूप सन्नाटा ग़म

वही है मुझ वहशी के घर में जो कुछ है वीरानों में

आप के क़दमों की आहट से शायद ख़्वाब से जाग उठे

सोई हुई वीरान उदासी कमरों में दालानों में

रंज ओ अलम तन्हाई के साथी गुज़र बसर को काफ़ी हैं

ख़ुशी तो शामिल हो जाती है आए गए मेहमानों में

अरमाँ सजे सजे पलकों पर तार तार थी अपनी जेब

अपने लिए तो ज़ख़्म-ए-दिल थे बाज़ार और दुकानों में

वक़्त ने कैसा रूप दिया जो लोग नहीं पहचान सके

काश कि ख़ुद को देख भी सकते जग के आईना-ख़ानों में

ज़िक्र-ए-'शम्स' उदास करेगा छोड़ो और कोई बात करो

ऐसे शख़्स की क्यूँ तुम गिनती गिनते हो इंसानों में

(600) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shams Farrukhabadi. is written by Shams Farrukhabadi. Complete Poem in Hindi by Shams Farrukhabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.