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जब भी तुम्हारी याद की आहट मुझे मिली - शम्स फ़रीदी कविता - Darsaal

जब भी तुम्हारी याद की आहट मुझे मिली

जब भी तुम्हारी याद की आहट मुझे मिली

तन्हाई काँपती हुई मुझ से जुदा हुई

आवाज़ दे के किस को बुलाऊँ में अपने पास

ज़ुल्मत की चार सो मिरे दीवार उठ गई

वो लोग इतनी देर में किस सम्त को गए

साहिल पे आ चुका था सफ़ीना अभी अभी

हैं शोला-बार तारों की आँखें न जाने क्यूँ

झुलसा रही है जिस्म को क्यूँ आज चाँदनी

हम अपने दिल का हाल सुनाएँ किसे यहाँ

लगता है सारा शहर हमें 'शम्स' अजनबी

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In Hindi By Famous Poet Shams Fareedi. is written by Shams Fareedi. Complete Poem in Hindi by Shams Fareedi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.