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हिचकियाँ लेता हुआ दुनिया से दीवाना चला - शमीम तारिक़ कविता - Darsaal

हिचकियाँ लेता हुआ दुनिया से दीवाना चला

हिचकियाँ लेता हुआ दुनिया से दीवाना चला

जाँ-कनी के वक़्त भी तेरा ही अफ़्साना चला

मैं जुनून-ए-इश्क़ में जाने कहाँ तक आ गया

शहर के हर मोड़ से पत्थर जुदागाना चला

ख़ून की गर्दिश में शामिल हो गई दिल की उमंग

कू-ए-क़ातिल की तरफ़ बे-इख़्तियाराना चला

मौसम-ए-गुल ज़र्द है ख़ून-ए-तमन्ना के बग़ैर

नक़्द-ए-जाँ ले कर चमन में सरफ़रोशाना चला

मौत के साए में 'तारिक़' आरज़ू की धूप थी

कारोबार-ए-ज़िंदगी बे-ए'तिबाराना चला

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In Hindi By Famous Poet Shamim Tariq. is written by Shamim Tariq. Complete Poem in Hindi by Shamim Tariq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.