Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_cd6e0be541f6482426fa78c40fb43e12, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दीवार की सूरत था कभी दर की तरह था - शमीम रविश कविता - Darsaal

दीवार की सूरत था कभी दर की तरह था

दीवार की सूरत था कभी दर की तरह था

वो धुँद में लिपटे हुए मंज़र की तरह था

देखा तो शगुफ़्ता सा लगा फूल की सूरत

उतरा तो मिरी रूह में ख़ंजर की तरह था

मैं आज तही-दस्त हूँ इक ख़ास सबब से

वर्ना मैं ज़माने में सिकंदर की तरह था

कुछ वक़्त ने तरतीब बिगाड़ी मिरे घर की

कुछ घर भी मिरा मेरे मुक़द्दर की तरह था

वो जागते लम्हों में भी पत्थर की तरह थी

मैं नींद के आलम में भी आज़र की तरह था

(571) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shamim Ravish. is written by Shamim Ravish. Complete Poem in Hindi by Shamim Ravish. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.