तिलिस्म-ए-सफ़र

एक दहशत-ज़दा

नीम तारीक जंगल में

अक़्ल-ओ-ख़िरद की ज़रूरत नहीं

शाइ'री और फ़िक्शन की

परछाइयों का मैं पीछा करूँ

और सपने बुनूँ

ऐसी आदत नहीं

नीम तारीक जंगल के

लम्बे सफ़र पे जो निकले हो तुम

तो सुन लो

नीम तारीक जंगल में चारों तरफ़

अबुल-हौल से वास्ता भी पड़ेगा तुम्हारा

कई शक्ल में

वरग़लाएँगी तुम को चुड़ैलें

अज़दहों के इलाक़ों से

गुज़रोगे तुम

जिस्म नीला भी होगा तुम्हारा

मगर आँख की पुतलियों में

ज़िंदगी का सवेरा मुनव्वर रहेगा

ये अलग बात तुम

रक़्स-ए-इबलीस के दाएरे में रहोगे

नीम तारीक जंगल के

सारे भयानक दरिंदों से तन्हा

निहत्ते लड़ोगे

तुम न हरगिज़ डरोगे

इस्तिफ़ादा करोगे मिरे तजरबों से

तो पाओगे मंज़िल

समुंदर की मौजें

उलझती हैं बरसों भँवर से

तो पाती हैं मंज़िल

नीम तारीक जंगल

रक़्स-ए-इबलीस

काली चुड़ैलें

ख़ौफ़-ज़ा जिस क़दर हो

तिलिस्म-ए-सफ़र

उस को मंज़िल की मेराज समझो

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In Hindi By Famous Poet Shamim Qasmi. is written by Shamim Qasmi. Complete Poem in Hindi by Shamim Qasmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.