लीजिए बुला लिया आप को ख़याल में
अब तो देखिए हमें कोई देखता नहीं
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बचाओ दामन-ए-दिल ऐसे हम-नशीनों से
वो दिल भी जलाते हैं रख देते हैं मरहम भी
जो मिल गई हैं निगाहें कभी निगाहों से
निगार-ए-मह-वश ओ महबूब-ए-लाला-रू की तरह
कौन है दर्द-आश्ना संग-दिली का दौर है
चमन चमन जो ये सुब्ह-ए-बहार की ज़ौ है
ख़ुद कोई चाक-गरेबाँ है रग-ए-जाँ के क़रीब
जो देखते हुए नक़्श-ए-क़दम गए होंगे
वो जुनूँ के अहद की चाँदनी ये गहन गहन की उदासियाँ
समझे है मफ़्हूम नज़र का दिल का इशारा जाने है
दर्द-शनास दिल नहीं जल्वा-तलब नज़र नहीं
आ रही है शब-ए-ग़म मेरी तरफ़ मेरे लिए