वो जुनूँ के अहद की चाँदनी ये गहन गहन की उदासियाँ
वो जुनूँ के अहद की चाँदनी ये गहन गहन की उदासियाँ
वो क़फ़स क़फ़स की चहल-पहल ये चमन चमन की उदासियाँ
जो महल के झाड़ उतार लो तो मिले ज़मीं को भी रौशनी
इन्हीं ख़ल्वतों ने बढ़ाई हैं मिरी अंजुमन की उदासियाँ
मिरा दिल है दश्त-ए-ग़म जहाँ कभी आ के सैर तो कीजिए
ये जुनूँ जुनूँ की मुसाफ़िरत ये वतन वतन की उदासियाँ
मुझे कैसे दश्त में लाए तुम कि सदी सदी के सफ़र पे भी
वही रंग-ओ-नस्ल की वहशतें वही मा-ओ-मन की उदासियाँ
कोई ऐ 'शमीम' कहे ज़रा ये उदास शाइ'र-ए-वक़्त से
कि हयात-ए-दिल को बुझा न दें कहीं फ़िक्र-ओ-फ़न की उदासियाँ
(634) Peoples Rate This