फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं
फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं
मुझ से तुम जुदा सही दिल से तुम जुदा नहीं
कारवान-ए-आरज़ू इस तरफ़ न रुख़ करे
उन की रहगुज़र है दिल आम रास्ता नहीं
इक शिकस्त-ए-आईना बन गई है सानेहा
टूट जाए दिल अगर कोई हादसा नहीं
आइए चराग़-ए-दिल आज ही जलाएँ हम
कैसी कल हवा चले कोई जानता नहीं
आसमाँ की फ़िक्र क्या आसमाँ ख़फ़ा सही
आप ये बताइए आप तो ख़फ़ा नहीं
किस लिए 'शमीम' से इतनी बद-गुमानियाँ
मिल के देखिए कभी आदमी बुरा नहीं
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