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अगरचे इश्क़ में इक बे-ख़ुदी सी रहती है - शमीम करहानी कविता - Darsaal

अगरचे इश्क़ में इक बे-ख़ुदी सी रहती है

अगरचे इश्क़ में इक बे-ख़ुदी सी रहती है

मगर वो नींद भी जागी हुई सी रहती है

वही तो वजह-ए-तआरुफ़ है कोई क्या जाने

अदा अदा में जो इक बे-रुख़ी सी रहती है

बड़ी अजीब है शब-हा-ए-ग़म की ज़ुल्मत भी

दिए जलाओ मगर तीरगी सी रहती है

हज़ार दर्द-ए-फ़राएज़ हैं और दिल-ए-तन्हा

मिरे ख़ुलूस को शर्मिंदगी सी रहती है

'शमीम' ख़ून-ए-जिगर से उभारिए लेकिन

हर एक नक़्श में कोई कमी सी रहती है

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In Hindi By Famous Poet Shamim Karhani. is written by Shamim Karhani. Complete Poem in Hindi by Shamim Karhani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.