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जब शिकायत थी कि तूफ़ाँ में सहारा न मिला - शमीम जयपुरी कविता - Darsaal

जब शिकायत थी कि तूफ़ाँ में सहारा न मिला

जब शिकायत थी कि तूफ़ाँ में सहारा न मिला

अब किनारे पे भी आए तो किनारा न मिला

बे-सहारों को कहीं कोई सहारा न मिला

कोई तूफ़ाँ न मिला कोई किनारा न मिला

हाथ उट्ठे ही नहीं साग़र ओ मीना की तरफ़

हम को जब तक तिरी आँखों का इशारा न मिला

चल न सकता था कभी अहल-ए-हवस का जादू

तुझ को ऐ दोस्त कोई इश्क़ का मारा न मिला

जिस ने देखा हमें दुश्मन की नज़र से देखा

तेरी महफ़िल में कोई दोस्त हमारा न मिला

मौत बेहतर है 'शमीम' उस के लिए जीने से

जिस को जीने के लिए कोई सहारा न मिला

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In Hindi By Famous Poet Shamim Jaipuri. is written by Shamim Jaipuri. Complete Poem in Hindi by Shamim Jaipuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.