Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9a81d0838471b3ece336876d420dc46f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कभी सहरा में रहते हैं कभी पानी में रहते हैं - शमीम हनफ़ी कविता - Darsaal

कभी सहरा में रहते हैं कभी पानी में रहते हैं

कभी सहरा में रहते हैं कभी पानी में रहते हैं

न जाने कौन है जिस की निगहबानी में रहते हैं

ज़मीं से आसमाँ तक अपने होने का तमाशा है

ये सारे सिलसिले इक लम्हा-ए-फ़ानी में रहते हैं

सवेरा होते होते रोज़ आ जाते हैं साहिल पर

सफ़ीने रात भर दरिया की तुग़्यानी में रहते हैं

पता आँखें को मिलता है यहीं सब जाने वालों का

सभी इस आईना-ख़ाने की हैरानी में रहते हैं

इधर हम हैं कि हर कार-ए-जहाँ दुश्वार है हम को

उधर कुछ लोग हर मुश्किल की आसानी में रहते हैं

किसे ये नीली पीली तितलियाँ अच्छी नहीं लगतीं

अजब क्या है जो हम बच्चों की नादानी में रहते हैं

यही बे-चेहरा ओ बे-नाम घर अपना ठिकाना है

हम इक भूले हुए मंज़र की वीरानी में रहते हैं

(551) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shamim Hanafi. is written by Shamim Hanafi. Complete Poem in Hindi by Shamim Hanafi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.