आँखें ग़म-ए-फ़िराक़ से हैं तर इधर-उधर

आँखें ग़म-ए-फ़िराक़ से हैं तर इधर-उधर

ग़म का असर है आज बराबर इधर-उधर

थे जो वफ़ा-शिआर वो नज़्र-ए-सितम हुए

अब किस को ढूँढता है सितमगर इधर-उधर

महफ़िल में तेरे हुस्न पे क़ुर्बान होगा कौन

दीवाने चल दिए जो निकल कर इधर-उधर

साक़ी के साथ रौनक़-ए-मय-ख़ाना भी गई

टूटे पड़े हैं शीशा-ओ-साग़र इधर-उधर

ऐसा न हो ज़माना हँसे तुम पर एक दिन

लिक्खो न मेरे हाल पे हँस कर इधर-उधर

दिल में कभी है दर्द जिगर में कभी ख़लिश

जैसे छुपे हों सीने में नश्तर इधर-उधर

अपनी ग़ज़ल सुनाओ 'शमीम' अहल-ए-ज़ौक़ को

ज़ाएअ' करो न फ़िक्र के जौहर इधर-उधर

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In Hindi By Famous Poet Shamim Fatehpuri. is written by Shamim Fatehpuri. Complete Poem in Hindi by Shamim Fatehpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.