शमीम फ़ारूक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शमीम फ़ारूक़ी
नाम | शमीम फ़ारूक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shamim Farooqui |
हसीन रुत है मगर कौन घर से निकलेगा
दूर तक फैला हुआ है एक अन-जाना सा ख़ौफ़
शर्मीली छूई-मूई अजब मोहनी सी थी
मिरे हाथ की सब दुआ ले गया
जो भी कहना हो वहाँ मेरी ज़बानी कहना
डूबते सूरज का मंज़र वो सुहानी कश्तियाँ
बहुत घुटन है बहुत इज़्तिराब है मौला
अँधेरी शब है कहाँ रूठ कर वो जाएगा
आसमाँ का रंग मेरी ज़ात में घुल जाएगा