Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9b2835e99f83c0bbf4620a882999d4d8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपना साया देख कर मैं बे-तहाशा डर गया - शमीम अनवर कविता - Darsaal

अपना साया देख कर मैं बे-तहाशा डर गया

अपना साया देख कर मैं बे-तहाशा डर गया

हू-ब-हू वैसा लगा जो मेरे हाथों मर गया

हल्के से हुस्न-ए-तबस्सुम का भी अंदाज़ा हुआ

बोझ सारे दिन का ले कर जब मैं अपने घर गया

फल लदे उस पेड़ पर फिर पड़ गया पहरा कड़ा

पत्तियों को चूमता जब सन से इक पत्थर गया

कुछ मकीनों में अजब तब्दीलियाँ पाई गईं

उस बड़ी बिल्डिंग में जब कुछ रोज़ वो रह कर गया

तीलियों की सख़्त-जानी और मिरी जिद्द-ओ-जहद

फिर कहाँ पर्वाज़ की ख़्वाहिश रहे जब पर गया

अपनी आज़ादी पे मैं इक चोर का मश्कूर हूँ

पैर जिस चादर में फैलाता था वो ले कर गया

(773) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shamim Anwar. is written by Shamim Anwar. Complete Poem in Hindi by Shamim Anwar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.