Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e47cf84dc0cb917276a4d3c5eccfeba5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
न संग-ए-राह न सद्द-ए-क़ुयूद की सूरत - शाम रिज़वी कविता - Darsaal

न संग-ए-राह न सद्द-ए-क़ुयूद की सूरत

न संग-ए-राह न सद्द-ए-क़ुयूद की सूरत

मैं ढह रहा हूँ अब अपने वजूद की सूरत

जगह पे अपनी जमा है वो संग की मानिंद

बिखर रहा हूँ मैं दीवार-ए-दूद की सूरत

जबीं पे ख़ाक-ए-तक़द्दुस हूँ मुझ को पहचानो

चमक रहा हूँ मैं नक़्श-ए-सुजूद की सूरत

मिरी नज़र में तयक़्क़ुन की धूप रौशन हो

कभी तो फैले वो रंग-ए-शुहूद की सूरत

गुज़शता सदियों का भी बोझ मुझ को ढोना था

अदा हुआ हूँ मैं हर लम्हा सूद की सूरत

लरज़ रहा हूँ मैं अपनी जसारतों पर 'शाम'

वो सहमा सहमा खड़ा है जुमूद की सूरत

(449) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sham Rizvi. is written by Sham Rizvi. Complete Poem in Hindi by Sham Rizvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.