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कितनी मुश्किल से ग़म-ए-दोस्त बयाँ होता है - शकूर जावेद कविता - Darsaal

कितनी मुश्किल से ग़म-ए-दोस्त बयाँ होता है

कितनी मुश्किल से ग़म-ए-दोस्त बयाँ होता है

अश्क थमता है न आँखों से रवाँ होता है

मुतरिब-ए-वक़्त का आहंग बदल देता हूँ

जब तिरे आरिज़-ओ-गेसू का बयाँ होता है

रंग-ओ-बू बन के जो उड़ता है शबिस्तानों में

वो भी हसरत के चराग़ों का धुआँ होता है

ज़िंदगी जब्र के दामन में जनम लेती है

आदमी दार के साए में जवाँ होता है

ठहर जाता हूँ तह-ए-ज़ुल्फ़-ए-निगार-ए-फ़र्दा

बार-ए-इमरोज़ जो शानों पे गराँ होता है

ज़िंदगी क्या है बस इक ख़ाना-ए-मातम 'जावेद'

दिल धड़कता है तो एहसास-ए-फ़ुग़ाँ होता है

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In Hindi By Famous Poet Shakur Javed. is written by Shakur Javed. Complete Poem in Hindi by Shakur Javed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.