रोने के बदले अपनी तबाही पे हँस दिया
'शाकिर' ने इस तरह गिला-ए-आसमाँ किया
Gulzar
Ahmad Faraz
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Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Habib Jalib
Parveen Shakir
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तेरे नालों से कोई बदनाम होता जाएगा
ये माजरा-ए-मोहब्बत समझ में आ न सका
बे-पर्दा उस का चेहरा-ए-पुर-नूर तो हुआ
ज़रा चश्म-ए-करम से देख लो तुम
क़सम ही नहीं है फ़क़त इस का शेवा
जबकि दुश्मन हो राज़ दाँ अपना