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तेरे नालों से कोई बदनाम होता जाएगा - शाकिर कलकत्तवी कविता - Darsaal

तेरे नालों से कोई बदनाम होता जाएगा

तेरे नालों से कोई बदनाम होता जाएगा

तू भी ऐ दिल मोरिद-ए-इल्ज़ाम होता जाएगा

मुतमइन हूँ मैं कि हो जाएगा सामान-ए-सुकूँ

दर्द बढ़ता जाएगा आराम होता जाएगा

वज्ह-ए-नाकामी न हों ऐ दिल तिरी बे-सब्रियाँ

सब्र से ले काम ख़ुद हर काम होता जाएगा

छोड़ दे ऐ दिल तमन्ना ज़िंदगी की छोड़ दे

तू हलाक-ए-गर्दिश-ए-अय्याम होता जाएगा

हम तही-दस्तान-ए-क़िस्मत मर गए प्यासे तो क्या

मय-कदे में यूँही दौर-ए-जाम होता जाएगा

इल्तिफ़ात-ए-नाज़ जो मख़्सूस था मेरे लिए

क्या ख़बर थी रफ़्ता रफ़्ता आम होता जाएगा

ऐब है 'शाकिर' हर इक के सामने अर्ज़-ए-हुनर

नाम की ख़्वाहिश में तू बदनाम होता जाएगा

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In Hindi By Famous Poet Shakir Kalkattvi. is written by Shakir Kalkattvi. Complete Poem in Hindi by Shakir Kalkattvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.