शकील शम्सी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शकील शम्सी
नाम | शकील शम्सी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shakeel Shamsi |
ज़िंदगी यूँ तो बहुत अय्यार थी चालाक थी
याद तुम आए तो फिर बन गईं बादल आँखें
उस से गिले शिकायतें शिकवे भी छोड़ दो
तेरी नज़र के सामने ये दिल नहीं रहा
संग मजनूँ पे लड़कपन में उठाया क्यूँ था
प्यार में उस ने तो दानिस्ता मुझे खोया था
पलकों पे लरज़ते रहे आँसू की तरह हम
मुझ को तिरे सुलूक से कोई गिला न था
मिम्बरों पर भी गुनहगार नज़र आते हैं
लदी है फूलों से फिर भी उदास लगती है
किसी की आँख से आँसू टपक रहे होंगे
इस घर में मिरे साथ बसर कर के तो देखो
दिल की कहानियों को नया मोड़ क्यूँ दिया
बादशाहों की तरह और न वज़ीरों की तरह