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ज़िंदगी और मौत का यूँ राब्ता रह जाएगा - शकील सरोश कविता - Darsaal

ज़िंदगी और मौत का यूँ राब्ता रह जाएगा

ज़िंदगी और मौत का यूँ राब्ता रह जाएगा

मक़्तलों को जाने वाला रास्ता रह जाएगा

ख़ुश्क हो जाएँगी आँखें और छट जाएगा अब्र

ज़ख़्म-ए-दिल वैसे का वैसा और हरा रह जाएगा

बुझ चुकी होंगी तुम्हारे घर की सारी मिशअलें

और तो लोगों में शमएँ बाँटता रह जाएगा

मुझ से ले जाएगा इक इक चीज़ वो जाते हुए

लेकिन इस का नाम आँखों में लिखा रह जाएगा

फूल में मौजूद रहने से है ख़ुशबू का वक़ार

फूल में ख़ुशबू नहीं होगी तो क्या रह जाएगा

यादगार-ए-इश्क़ ऐसी छोड़ जाऊँगा 'सरोश'

हुस्न हैरानी से मुझ को देखता रह जाएगा

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Sarosh. is written by Shakeel Sarosh. Complete Poem in Hindi by Shakeel Sarosh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.