तेरी नज़रों में तो अबरू में कमाँ ढूँडता हूँ

तीर नज़रों में तो अबरू में कमाँ ढूँडता हूँ

उस की आँखों में गई रुत के निशाँ ढूँडता हूँ

नश्शा-ए-क़ुर्ब से बढ़ कर है तिरी खोज मुझे

तू जहाँ मिल न सके तुझ को वहाँ ढूँडता हूँ

ताज़ा वारिद हूँ मियाँ और ये शहर-ए-दिल है

कुछ कमाने को यहाँ कार-ए-ज़ियाँ ढूँडता हूँ

शक की बे-सम्त मसाफ़त ही मुझे मार न दे

जो यक़ीं मुझ को दिला दे वो गुमाँ ढूँडता हूँ

अपने अंदर मुझे कर्बल का समाँ लगता है

सर-बुलंदी के लिए नोक-ए-सिनाँ ढूँडता हूँ

अस्र-ए-हाज़िर भी लगे हर्फ़-ए-मुकर्रर 'जाज़िब'

अपने होने के लिए ताज़ा जहाँ ढूँडता हूँ

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Jazib. is written by Shakeel Jazib. Complete Poem in Hindi by Shakeel Jazib. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.