किन ज़मीनों पे उतारोगे इमदाद का क़हर
कौन सा शहर उजाड़ोगे बसाने के लिए
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रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे
वो लोग आएँ जिन्हें हौसला ज़ियादा है
तुम शुजाअ'त के कहाँ क़िस्से सुनाने लग गए
शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा
इक बीमार वसीयत करने वाला है
तुम्हारे बा'द बड़ा फ़र्क़ आ गया हम में
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं
अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था
पेट की आग बुझाने का सबब कर रहे हैं
मसअला ख़त्म हुआ चाहता है