शकील जमाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शकील जमाली
नाम | शकील जमाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Shakeel Jamali |
जन्म की तारीख | 1958 |
जन्म स्थान | Delhi |
ज़िंदगी ऐसे भी हालात बना देती है
उम्र का एक और साल गया
तुम्हारे बा'द बड़ा फ़र्क़ आ गया हम में
शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा
सब से पहले दिल के ख़ाली-पन को भरना
रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे
मौत को हम ने कभी कुछ नहीं समझा मगर आज
मौत को हम ने कभी कुछ नहीं समझा मगर आज
मसअला ख़त्म हुआ चाहता है
मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग
लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं
कुछ लोग हैं जो झेल रहे हैं मुसीबतें
कोई स्कूल की घंटी बजा दे
किन ज़मीनों पे उतारोगे इमदाद का क़हर
झूट में शक की कम गुंजाइश हो सकती है
हो गई है मिरी उजड़ी हुई दुनिया आबाद
हर कोने से तेरी ख़ुशबू आएगी
ग़म के पीछे मारे मारे फिरना क्या
इक बीमार वसिय्यत करने वाला है
इक बीमार वसीयत करने वाला है
अपने ख़ून से इतनी तो उम्मीदें हैं
अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
ये तिरी ख़ल्क़-नवाज़ी का तक़ाज़ा भी नहीं
वो लोग आएँ जिन्हें हौसला ज़ियादा है
वफ़ादारों पे आफ़त आ रही है
उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं
तुम शुजाअ'त के कहाँ क़िस्से सुनाने लग गए
थोड़ा सा माहौल बनाना होता है
सारे भूले बिसरों की याद आती है