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हम पर जितने वार हुए भरपूर हुए - शकील ग्वालिआरी कविता - Darsaal

हम पर जितने वार हुए भरपूर हुए

हम पर जितने वार हुए भरपूर हुए

हम से पूछो कैसे चकनाचूर हुए

संजीदा लोगों का जीना मुश्किल है

खेल तमाशे दुनिया का दस्तूर हुए

मेरी नज़र में जैसे पहले थे अब हो

कौन सी दौलत पा कर तुम मग़रूर हुए

ये तो गुलिस्तानों में रोज़ के क़िस्से हैं

फूल खिले खिल कर शाख़ों से दूर हुए

हम ने 'शकील' इक छोटी सी नादानी से

शोहरत पाई ख़ूब बहुत मशहूर हुए

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Gwaliari. is written by Shakeel Gwaliari. Complete Poem in Hindi by Shakeel Gwaliari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.