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हम कब उस राह से गुज़रते हैं - शकील ग्वालिआरी कविता - Darsaal

हम कब उस राह से गुज़रते हैं

हम कब उस राह से गुज़रते हैं

अपनी आवारगी से डरते हैं

कश्तियाँ डूब भी तो सकती हैं

डूब कर भी तो पार उतरते हैं

तोड़ कर रिश्ता-ए-ख़ुलूस अहबाब

आँसुओं की तरह बिखरते हैं

अपने एहसास की कसौटी पर

हम भी पूरे कहाँ उतरते हैं

चाहे कैसा ही दौर आ जाए

अपने हालात कब सँवरते हैं

सतह पर हैं हुबाब के ख़ेमे

डूबने वाले कब उभरते हैं

एक हालत पे हम नहीं रहते

जम्अ होते हैं फिर बिखरते हैं

ज़िंदगी तेरे नाम कर दी थी

अब तिरा नाम ले के मरते हैं

रंज ओ राहत की कश्मकश में 'शकील'

उम्र के क़ाफ़िले गुज़रते हैं

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Gwaliari. is written by Shakeel Gwaliari. Complete Poem in Hindi by Shakeel Gwaliari. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.