उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
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कल रात ज़िंदगी से मुलाक़ात हो गई
फ़रेब-ए-मोहब्बत से ग़ाफ़िल नहीं हूँ
मिरी ज़िंदगी है ज़ालिम तिरे ग़म से आश्कारा
कब तक 'शकील' दिल को दुआ कीजिएगा आप
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
बेकार गई आड़ तिरे पर्दा-ए-दर की
ये किस ख़ता पे रूठ गई चश्म-ए-इल्तिफ़ात
ग़म की दुनिया रहे आबाद 'शकील'
आख़िरी वक़्त है आख़िरी साँस है ज़िंदगी की है शाम आख़िरी आख़िरी
ख़ुश हूँ कि मिरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया
उन की तस्वीर देख कर
बहार आई किसी का सामना करने का वक़्त आया