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ज़मीं पर फ़स्ल-ए-गुल आई फ़लक पर माहताब आया - शकील बदायुनी कविता - Darsaal

ज़मीं पर फ़स्ल-ए-गुल आई फ़लक पर माहताब आया

ज़मीं पर फ़स्ल-ए-गुल आई फ़लक पर माहताब आया

सभी आए मगर कोई न शायान-ए-शबाब आया

मिरा ख़त पढ़ के बोले नामा-बर से जा ख़ुदा-हाफ़िज़

जवाब आया मिरी क़िस्मत से लेकिन ला-जवाब आया

उजाले गर्मी-ए-रफ़्तार का ही साथ देते हैं

बसेरा था जहाँ अपना वहीं तक आफ़्ताब आया

'शकील' अपने मज़ाक़-ए-दीद की तकमील क्या होगी

इधर नज़रों ने हिम्मत की उधर रुख़ पर नक़ाब आया

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.