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रंग-ए-सनम-कदा जो ज़रा याद आ गया - शकील बदायुनी कविता - Darsaal

रंग-ए-सनम-कदा जो ज़रा याद आ गया

रंग-ए-सनम-कदा जो ज़रा याद आ गया

टूटीं वो बिजलियाँ कि ख़ुदा याद आ गया

हर-चंद दिल को तर्क-ए-मोहब्बत का था ख़याल

लेकिन किसी का अहद-ए-वफ़ा याद आ गया

जैसे किसी ने छीन ली रंगीनी-ए-बहार

क्या जानिए बहार में क्या याद आ गया

रहमत नज़र बचा के निकलने को थी मगर

वो इर्तिआ'श-ए-दस्त-ए-दुआ याद आ गया

अल्लाह रे सितम कि उन्हें मुझ को देख कर

सब कुछ मोहब्बतों के सिवा याद आ गया

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.