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लुत्फ़-ए-निगाह-ए-नाज़ की तोहमत उठाए कौन - शकील बदायुनी कविता - Darsaal

लुत्फ़-ए-निगाह-ए-नाज़ की तोहमत उठाए कौन

लुत्फ़-ए-निगाह-ए-नाज़ की तोहमत उठाए कौन

कुछ देर की बहार को ख़ातिर में लाए कौन

दिल चीज़ क्या है दिल से मोहब्बत जताए कौन

अपना जो ख़ुद न हो उसे अपना बनाए कौन

तेरे हुज़ूर तुझ से ख़फ़ा हो के जाए कौन

ज़ख़्म-ए-दिल-ए-तबाह पे नश्तर लगाए कौन

माना हरीम-ए-नाज़ के पर्दों में है कोई

लेकिन हरीम-ए-नाज़ के पर्दे उठाए कौन

हाँ हाँ मुझे तुम्हारे तग़ाफ़ुल का ग़म नहीं

इस दौर-ए-ख़ुदरवी में किसे आज़माए कौन

पड़ जाए लाख वक़्त मगर ये नहीं क़ुबूल

मैं देखता रहूँ कि मिरे काम आए कौन

कैसी बहार किस के सितारे कहाँ के फूल

जब तुम नहीं तो दीदा-ओ-दिल में कौन समाए कौन

ज़ौक़-ए-अमल न ज़ौक़-ए-जुनूँ हर तरफ़ सुकूँ

जन्नत अगर यही है तो जन्नत में जाए कौन

महफ़िल में कोई सोख़्ता-जाँ ही नहीं 'शकील'

सोज़-ओ-गुदाज़-ए-शमअ' पे आँसू बहाए कौन

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.