इश्क़ की चिंगारियों को फिर हवा देने लगे

इश्क़ की चिंगारियों को फिर हवा देने लगे

मेरे पास आ कर वो दुश्मन को दुआ देने लगे

मय-कदे का मय-कदा ख़ामोश था मेरे बग़ैर

मैं हुआ वारिद तो पैमाने सदा देने लगे

ख़त्म करना ही पड़ेंगी शाम-ए-ग़म की उलझनें

अब वो अपने गेसुओं का वास्ता देने लगे

ए'तिराफ़-ए-औज का जज़्बा नहीं अहबाब में

हर तरक़्क़ी पर तरक़्क़ी की दुआ देने लगे

दोस्तों की कज-अदाई मैं भी लज़्ज़त है 'शकील'

दोस्त वो है दोस्त बन कर जो दग़ा देने लगे

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.