हम उन की अंजुमन का समाँ बन के रह गए
हम उन की अंजुमन का समाँ बन के रह गए
सर-ता-क़दम निगाह ओ ज़बाँ बन के रह गए
पलटे मुक़द्दरात कुछ इस तौर से कि हम
तस्वीर-ए-इंक़िलाब-ए-जहाँ बन के रह गए
मज़लूम दिल की तल्ख़-नवाई तो देखना
नग़्मे जो लब तक आए फ़ुग़ाँ बन के रह गए
अब हम हैं और हक़ीक़त-ए-आलाम है 'शकील'
लम्हे ख़ुशी के ख़्वाब-ए-गिराँ बन के रह गए
(522) Peoples Rate This