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दिल मरकज़-ए-हिजाब बनाया न जाएगा - शकील बदायुनी कविता - Darsaal

दिल मरकज़-ए-हिजाब बनाया न जाएगा

दिल मरकज़-ए-हिजाब बनाया न जाएगा

उन से भी राज़-ए-इश्क़ छुपाया न जाएगा

सर को कभी क़दम पे झुकाया न जाएगा

उन के नुक़ूश-ए-पा को मिटाया न जाएगा

बे-वज्ह इंतिज़ार दिखाने से फ़ाएदा

कह दीजिए कि सामने आया न जाएगा

आँखों में अश्क क़ल्ब परेशाँ नज़र उदास

इस तरह उन को छोड़ के जाया न जाएगा

वो ख़ुद कहें तो शरह-ए-मोहब्बत बयाँ करूँ

नग़्मा बग़ैर साज़ सुनाया न जाएगा

बेहतर यही है ज़िक्र-ए-मोहब्बत न छेड़िए

नक़्शा बिगड़ गया तो बनाया न जाएगा

दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर हो

ये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Badayuni. is written by Shakeel Badayuni. Complete Poem in Hindi by Shakeel Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.