Ghazals of Shakeel Badayuni
नाम | शकील बदायुनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Shakeel Badayuni |
जन्म की तारीख | 1916 |
मौत की तिथि | 1970 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़िंदगी उन की चाह में गुज़री
ज़िंदगी उन की चाह में गुज़री
ज़िंदगी का दर्द ले कर इंक़लाब आया तो क्या
ज़ौक़-ए-गुनाह ओ अज़्म-ए-पशेमाँ लिए हुए
ज़मीं पर फ़स्ल-ए-गुल आई फ़लक पर माहताब आया
ये तमाम ग़ुंचा-ओ-गुल मैं हँसूँ तो मुस्कुराएँ
ये क्या सितम-ज़रीफ़ी-ए-फ़ितरत है आज-कल
ये दुनिया है यहाँ दिल को लगाना किस को आता है
ये ऐश-ओ-तरब के मतवाले बे-कार की बातें करते हैं
वो यूँ खो के मुझे पाया करेंगे
वो हम से दूर होते जा रहे हैं
वो दिल में रहते हैं दिल का निशाँ नहीं मा'लूम
वज्ह-ए-क़द्र-ओ-क़ीमत-ए-दिल हुस्न की तनवीर है
उठी फिर दिल में इक मौज-ए-शबाब आहिस्ता आहिस्ता
उन से उम्मीद-ए-रू-नुमाई है
उन को शरह-ए-ग़म सुनाई जाएगी
उन के बग़ैर हम जो गुलिस्ताँ में आ गए
तुम ने ये क्या सितम किया ज़ब्त से काम ले लिया
तिरी यादों से दिल फ़रोज़ाँ करेंगे
तिरी महफ़िल से उठ कर इश्क़ के मारों पे क्या गुज़री
तिरी अंजुमन में ज़ालिम अजब एहतिमाम देखा
तिरे बग़ैर अजब बज़्म-ए-दिल का आलम है
तौफ़-ए-हरम न देर की गहराइयों में है
तस्वीर बनाता हूँ तिरी ख़ून-ए-जिगर से
तक़दीर की गर्दिश क्या कम थी इस पर ये क़यामत कर बैठे
तम्हीद-ए-सितम और है तकमील-ए-जफ़ा और
तकमील-ए-शबाब चाहता हूँ
सुब्ह का अफ़्साना कह कर शाम से
शोख़ नज़रों में जो शामिल बरहमी हो जाएगी
शिकवे तिरे हुज़ूर किए जा रहा हूँ मैं