मेरे होंटों पे ख़ामुशी है बहुत
इन गुलाबों पे तितलियाँ रख दे
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Gulzar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1898) Peoples Rate This
अकेले रहने की ख़ुद ही सज़ा क़ुबूल की है
नई आस्तीन
सिंगापुर
अब इस से मिलने की उम्मीद क्या गुमाँ भी नहीं
कुछ दिनों के लिए मंज़र से अगर हट जाओ
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
एक सुराख़ सा कश्ती में हुआ चाहता है
चढ़ा हुआ है जो दरिया उतरने वाला है
कहीं से चाँद कहीं से क़ुतुब-नुमा निकला
कुछ इस तरह से मिलें हम कि बात रह जाए
फूल खिला दे शाख़ों पर पेड़ों को फल दे मालिक
ख़ुद को इतना भी न बचाया कर