तवील हिज्र है इक मुख़्तसर विसाल के बा'द
तवील हिज्र है इक मुख़्तसर विसाल के बा'द
में और हो गया तन्हा तिरे ख़याल के बा'द
तपिश इक और है दिन की हरारतों के सिवा
सफ़र इक और है सूरज तिरे ज़वाल के बा'द
किसी से रखते कहाँ दुश्मनी का रिश्ता हम
लहू को सर्द भी होना था इक उबाल के बा'द
जो तोड़ना है तो दिल इस अदा से तोड़ मिरा
कोई मलाल न हो मुझ को इस मलाल के बा'द
ज़रा भी सोच न पाया मैं अपने बारे में
कोई ख़याल न आया तिरे ख़याल के बा'द
कहाँ गई वो मोहब्बत कि जिस के साए में
लिपट के रोए थे हम दोनों अर्ज़-ए-हाल के बा'द
ये दिल की बात है सौदा-गरी नहीं यारो
किसी ने की है मोहब्बत भी देख-भाल के बा'द
'शकील' बंद हुआ हम पे इस का दरवाज़ा
कभी सवाल से पहले कभी सवाल के बा'द
(1714) Peoples Rate This