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चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिए - शकील आज़मी कविता - Darsaal

चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिए

चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिए

मैं तो सूरज हूँ बुझूँगा भी तो जलने के लिए

मंज़िलो तुम ही कुछ आगे की तरफ़ बढ़ जाओ

रास्ता कम है मिरे पाँव को चलने के लिए

ज़िंदगी अपने सवारों को गिराती जब है

एक मौक़ा भी नहीं देती सँभलने के लिए

मैं वो मौसम जो अभी ठीक से छाया भी नहीं

साज़िशें होने लगीं मुझ को बदलने के लिए

वो तिरी याद के शोले हों कि एहसास मिरे

कुछ न कुछ आग ज़रूरी है पिघलने के लिए

ये बहाना तिरे दीदार की ख़्वाहिश का है

हम जो आते हैं इधर रोज़ टहलने के लिए

आँख बेचैन तिरी एक झलक की ख़ातिर

दिल हुआ जाता है बेताब मचलने के लिए

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In Hindi By Famous Poet Shakeel Azmi. is written by Shakeel Azmi. Complete Poem in Hindi by Shakeel Azmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.