Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_eb7ab1fd895b6734851a3cb7438e1496, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपनी हस्ती को मिटा दूँ तिरे जैसा हो जाऊँ - शकील आज़मी कविता - Darsaal

अपनी हस्ती को मिटा दूँ तिरे जैसा हो जाऊँ

अपनी हस्ती को मिटा दूँ तिरे जैसा हो जाऊँ

इस तरह चाहूँ तुझे मैं तिरा हिस्सा हो जाऊँ

पायलें बाँध के बारिश की करूँ रक़्स-ए-जुनूँ

तू घटा बन के बरस और मैं सहरा हो जाऊँ

दूर तक ठहरा हुआ झील का पानी हूँ मैं

तेरी परछाईं जो पड़ जाए तो दरिया हो जाऊँ

शहर-दर-शहर मिरे इश्क़ की नौबत बाजे

मैं जहाँ जाऊँ तिरे नाम से रुस्वा हो जाऊँ

आदमी बन के बहुत मैं ने तुझे सज्दे किए

तो ख़ुदा बन के मुझे मिल मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ

इस तरह मिल कि बिछड़ने का तसव्वुर न रहे

इस तरह माँग मुझे तू कि मैं तेरा हो जाऊँ

इतना बीमार कि साँसों से धुआँ उठता है

आ तुझे देख लूँ और देख के अच्छा हो जाऊँ

(2275) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Shakeel Azmi. is written by Shakeel Azmi. Complete Poem in Hindi by Shakeel Azmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.