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सर-ए-रह अब न यूँ मुझ को पुकारो तुम ही आ जाओ - शकेब जलाली कविता - Darsaal

सर-ए-रह अब न यूँ मुझ को पुकारो तुम ही आ जाओ

सर-ए-रह अब न यूँ मुझ को पुकारो तुम ही आ जाओ

ज़रा ज़हमत तो होगी राज़-दारो तुम ही आ जाओ

कहीं ऐसा न हो दम तोड़ दें हसरत से दीवाने

क़फ़स तक उन से मिलने को बहारो तुम ही आ जाओ

भरोसा क्या सफ़ीने का कई तूफ़ान हाइल हैं

हमारी ना-ख़ुदाई को किनारो तुम ही आ जाओ

अभी तक वो नहीं आए यक़ीनन रात बाक़ी है

हमारी ग़म-गुसारी को सितारो तुम ही आ जाओ

'शकेब'-ए-ग़म-ज़दा को दर्द से है अब कहाँ फ़ुर्सत

अगर कुछ वक़्त मिल जाए तो प्यारो तुम ही आ जाओ

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In Hindi By Famous Poet Shakeb Jalali. is written by Shakeb Jalali. Complete Poem in Hindi by Shakeb Jalali. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.