शकेब जलाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शकेब जलाली (page 4)
नाम | शकेब जलाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Shakeb Jalali |
जन्म की तारीख | 1934 |
मौत की तिथि | 1966 |
जन्म स्थान | Pakistan |
ग़म-ए-दिल हीता-ए-तहरीर में आता ही नहीं
गले मिला न कभी चाँद बख़्त ऐसा था
दुनिया वालों ने चाहत का मुझ को सिला अनमोल दिया
दोस्ती का फ़रेब ही खाएँ
दिल के वीराने में इक फूल खिला रहता है
दश्त ओ सहरा अगर बसाए हैं
दर्द के मौसम का क्या होगा असर अंजान पर
बुझे बुझे से शरारे मुझे क़ुबूल नहीं
बेजा नवाज़िशात का बार-ए-गराँ नहीं
बस इक शुआ-ए-नूर से साया सिमट गया
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका
अब आप रह-ए-दिल जो कुशादा नहीं रखते
आया है हर चढ़ाई के बा'द इक उतार भी
आग के दरमियान से निकला
आ के पत्थर तो मिरे सहन में दो चार गिरे