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बस वही लम्हा आँख देखेगी - शाइस्ता यूसुफ़ कविता - Darsaal

बस वही लम्हा आँख देखेगी

बस वही लम्हा आँख देखेगी

जिस पे लिखा हुआ हो नाम अपना

ऐसा सदियों से होता आया है

लोग करते रहेंगे काम अपना

कुछ हवाएँ गुज़र रही थीं इधर

हम ने पहुँचा दिया पयाम अपना

ज़ेहन कर ले हज़ार-हा कोशिश

दिल भी करता रहेगा काम अपना

चाहती हूँ फ़लक को छू लेना

जानती हूँ मगर मक़ाम अपना

क्या यही है शनाख़्त 'शाइस्ता'

माँ ने जो रख दिया था नाम अपना

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In Hindi By Famous Poet Shaista Yusuf. is written by Shaista Yusuf. Complete Poem in Hindi by Shaista Yusuf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.